महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रतिपादित पठन—पाठन विधि का संरक्षण आवश्यक क्यों?

वेदों की ओर लौटो का उद्धोष करने वाले महर्षि दयानन्द सरस्वती का सम्पूर्ण चिन्तन वेदों से अनुप्रणीत है। सूत्र रुप में सभी ज्ञान—विज्ञान की शिक्षा वेदों में प्राप्त है किन्तु महाभारत के पश्चात् भारतीय एवं विदेशी भाष्यकारों द्वारा स्वमन्तव्य के लिए अनेक शब्दों का भ्रामक अर्थ कर वेद की व्यापकता एवं प्राचीनता पर ही प्रश्न…

धर्म की आवश्यकता क्यों?

जीवन की सफलता सत्यता में है। सत्यता का नाम धर्म है। जीवन की सफलता के लिए अत्यन्त सावधान होकर प्रत्येक कर्म करना पड़ता है, यथा – मैं क्या देखूॅं, क्या न देखूॅं, क्या सुनॅूं, क्या न सुनूॅं, क्या जानॅंू, क्या न जानूॅं, क्या करुॅं अथवा क्या न करूॅं। क्योंकि मनुष्य एक चिन्तनशील प्राणी है, जब…

गो-वध व मांसाहार का वेदों में कही भी नामोनिशान तक नहीं है

प्रायः लोग बिना कुछ सोचे समझे बात करते हैं कि वेदों में गो-वध तथा गो-मांस खाने का विधान है। ऐसे लोगों को ध्यान में रखकर कुछ लिखने का यत्न कर रहा हूं, आज तक जो भी ऐसी मानसिकता से घिरे हुऐ लोग हो वे जरुर इसको पढ़ कर समझने का प्रयास करें। क्षणिक स्वार्थ व…