गुरुकुलीय परम्परा विश्व की सबसे प्राचीनतम परम्परा है। जिसके द्वारा भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में निरन्तर नवीन शैक्षणिक व वैज्ञानिक तथ्यों पर अनुसन्धानपरक कार्य होता रहा है। समस्त वैदिक वाङ्मय की उत्पत्ति में भी गुरुकुलीय परम्परा का ही योगदान है, क्योंकि एकान्त, शान्त, वन्यवातावरण में ऋषियों ने अपने शिष्यों के साथ गम्भीर चिन्तन व मनन कर जो निःश्रेयस व अभ्युदय के लिए परम हितकर था, उसी का सूत्ररूप में विन्यास वैदिक वाङ्मय में किया है। वैदिक वाङ्मय के चिन्तन से लाभान्वित होकर के ही समस्त विश्व ने भारत को विश्वगुरु माना। अतः यह स्पष्ट हो जाता है कि गुरुकुलीय परम्परा के कारण ही भारत विश्व का ज्ञानदाता बना।