दिनचर्या

विद्यार्थियों का ध्यान अध्ययन पर ही केन्द्रित रखने के लिए प्राचीन काल में भारत में एक विशेष परम्परा रही और वह थी- विद्या अर्जन करने वालों की दिनचर्या व उनके निवासस्थान का गृहस्थियों से अलग प्रकार का होना। इसके लिए विद्यार्थी का अध्ययन काल में गुरुकुल में रहना अति अनिवार्य था. फिर चाहे वह झोपड़ी में रहने वाले साधारण परिवार के बालक बालिकाएं हों या महलों के राजकुमार। सभी को शिक्षाप्राप्ति गुरुकुल में जाकर करनी होती थी. जहां सुबह से शाम तक उन्हें एक ऎसी दिनचर्या का पालन करना होता था जो उन्हें तपपूर्वक शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक तीनों क्षेत्रों में सशक्त बनाए. इसी दिनचर्या में बंधे हुए वे विद्याभ्यास करते थे. इस प्रकार से उन विद्यार्थियों को दो अनिवार्य अभ्यासों का अनुपालन करना होता था- एक व्रताभ्यास और दूसरा विद्याभ्यास। जिसमें व्रताभ्यास के अन्तर्गत विनय, शील, संस्कार एवं धर्माचरण के प्रशिक्षण पर बल दिया जाता था, जबकि विद्याभ्यास को हम आज की स्कूली शिक्षा व्यवस्था की तरह ही समझ सकते हैं, जिसमें विषयगत अध्ययन पर ध्यान केंद्रित होता है और महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि व्रत और विद्या दोनों ही क्षेत्रों में विद्यार्थियों का उत्तीर्ण होना आवश्यक था. किसी एक में अपेक्षिता परिणाम न दे पाने पर विद्यार्थी को फिर से वही शिक्षा दी जाती थी. जिससे विद्यार्थी अच्छे इन्सान और अच्छे विषयविशेषज्ञ बनकर समाज और राष्ट्र के लिए हितकारी होते थे, जो अपनी शैक्षणिक अभियोग्यताओं से तो देश के काम आते ही थे, साथ ही वे अच्छे नागरिक भी थे. अपनी उच्छृंखलताओं से प्रशासन के लिए चिंता का विषय नहीं बनते थे. अर्वाचीन गुरुकुल परम्परा में भी इसी आदर्श को दोहराने की कोशिश की जाती है. दिनचर्या का एक निर्धारित क्रम इन गुणों के विकास में सहयोग प्रदान करता है, इन्हीं भावों को केन्द्रित करके वेदार्ष महाविद्यालय न्यास ने एक दिनचर्या का निर्माण किया, जो निम्नवत् है…

दिनचर्या

प्रात:                ४.00 से ४.१५             जागरण मन्त्रोच्चारण

प्रात:                ४.00 से ५.00             नित्यकर्म

प्रात:                ५.00 से ५.३0             योग एवं व्यायाम

प्रात:                ५.00 से ६.00             सफाई, स्नान

प्रात:                ६.00 से ७.00             स्वाध्याय

प्रात:                ७.00 से ७.४५            सन्ध्या, यज्ञ

प्रात:                ७.४५ से ८.१५            प्रातराश

प्रात:                ८.१५ से ८.३0            विद्यालय प्रार्थना, उपस्थिति

प्रात:                ८.३0 से १२.३0            विद्यालय पठन-पाठन

दोपहर            १२.३0 से २.00             भोजन, विश्राम, स्वाध्याय

सायं                 २.00 से ४.१५             विद्यालय

सायं                 ४.१५ से ४.४५            नित्यकर्म

सायं                 ५.४५ से ५.३0           श्रमदान (साफ-सफाई)

सायं                 ५.३0 से ६.३0             खेलकूद, आसन-व्यायाम

सायं                 ६.३0 से ७.00             स्नान

रात्रि                  ७.00 से ७.३0            सन्ध्या व यज्ञ

रात्रि                  ७.३0 से ८.१५            भोजन

रात्रि                  ८.१५ से ८.३0            भ्रमण

रात्रि                  ८.३0 से ९.३0               स्वाध्याय

रात्रि                  ९.३0 से –                    मन्त्रोच्चारण एवं शयन

नोट- ऋतु के अनुसार दिनचर्या में परिवर्तन किया जाता है।