पाठ्यक्रम
आर्ष-न्यास अपनी सभी संस्थाओं में महर्षि दयानन्द द्वारा प्रतिपादित आर्ष परम्परा के अनुरूप प्राचीन व्याकरणादि सभी शास्त्रों की शिक्षा देता है, जिसकी मान्यता श्रीमद्दयानन्द आर्ष विद्यापीठ, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक, भिवानी बोर्ड हरियाणा एवं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से स्वीकृत है। अधिकारी परीक्षा आर्ष-न्यास स्वयं लेता है। मध्यमा से आगे की परीक्षाएँ विश्वविद्यालय लेता है।
आर्ष-न्यास निम्नलिखित परीक्षाओं की व्यवस्था करता है-
परीक्षा का नाम | अवधि | समकक्ष |
अधिकारी (प्रथमा) | त्रिवार्षिक | 6-7-8 |
पूर्व मध्यमा | द्विवार्षिक | 10 |
उत्तर मध्यमा | द्विवार्षिक | 12 |
शास्त्री | त्रिवार्षिक | बी.ए. ऑनर्स |
आचार्य | द्विवार्षिक | एम.ए. |
आर्ष-न्यास अपनी संस्थाओं में नीचे दिये गये विषयों की परीक्षा करने-कराने की व्यवस्था करता है-
विषय- वेद, संस्कृतसाहित्य, संस्कृतव्याकरण, वैदिक-सिद्धान्त, नागरिकशास्त्र, उपनिषद्, योग, दर्शनशास्त्र, स्मृति, अलंकारशास्त्र, अर्थशास्त्र, छन्दःशास्त्र (संस्कृत), छन्दःशास्त्र (हिन्दी), निरुक्त, हिन्दी, गणित, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, अग्रेजी आदि।
आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के संवाहक कम्पूटर शिक्षा का भी विशेष प्रबन्ध न्यास की संस्थाओं में किया जाता है।
पठन-पाठन की रचनात्मकता-
अध्ययन के प्रति छात्र की विशेष अभिरुचि जागृत करने के लिए अधीत विषयों के सिंहावलोकन के लिए मासिक एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा ली जाती है, जिसमें प्रत्येक छात्र को अनिवार्यरुपेण सम्मिलित होना होता है।