श्रीमद् दयानन्द वेदार्ष महाविद्यालय-न्यास का संक्षिप्त परिचय
श्रीमद् दयानन्द वेद विद्यालय से ………श्रीमद् दयानन्द वेदार्ष महाविद्यालय-न्यास तक…..।
वेद सब प्रकार के ज्ञान से युक्त है। वेद में न केवल धार्मिक, आध्यात्मिक अथवा सामाजिक विद्याओं का वर्णन है, अपितु भौतिक विज्ञान की विविध शाखाओं का भी सूक्ष्म विवेचन है। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने स्वरचित ग्रन्थ ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में सृष्टिविद्या, पृथिव्यादिलोकभ्रमण-विज्ञान, आकर्षणानुकर्षण-विज्ञान, प्रकाश्यप्रकाशक विषय, गणित-विज्ञान, नौविमानादिविद्या, तारविद्या, वैद्यकविद्या तथा राजप्रजाधर्मविद्या आदि का सप्रमाण निदर्शन किया है। वेद में प्रतिपादित इन गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए तत्ववेत्ता ऋर्षियों ने वेदांग, उपांग, ब्रह्मण एवं आरण्य आदि ग्रान्थों की रचना की। वेद के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान आर्ष ग्रन्थों की इस अध्ययन परम्परा से ही सम्भव है। वेद विज्ञान एवं आर्ष ग्रन्थों की इस अध्ययन परम्परा को अक्षुण्ण बनाये रखना एवं मानव मात्र का कल्याण गुरुकुलीय आर्ष परम्परा से ही सम्भव है। इन उदात्त भावनाओं से परिपूर्ण होकर इस विद्यालय की स्थापना श्रावण पूर्णिमा संवत् १११९ तदनुसार २४ अगस्त १९३४ ईस्वी, १९॰ दयानन्दाब्द में गुरुवर्य स्वर्गीय परम हंस महामहिम श्री स्वामी शुद्धबोध तीर्थ जी की स्मृति में स्वनामधन्य स्वर्गीय श्री स्वामी सच्चिदानन्द योगी (राजेन्द्रनाथ शास्त्री) ने की। इस विद्यालय के सुयोग्य देशभक्त स्नातकों ने स्वतन्त्रता की प्राप्ति के लिए राष्ट्र रक्षा रूपी धर्म युद्ध में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस विद्यालय ने अनेक विद्याव्रत स्नातकों को तैयार किया, जिसके कारण राजधानी का यह प्रसिद्ध विद्या केन्द्र भारतवर्ष की उन बिरली शिक्षण संस्थाओं में से एक है जो अपनी अविस्मरणीय उपलब्धियों के कारण जन मानस में स्थिर सम्मान कि अधिकारिणी बनी हुई है। आज इस विद्यालय की उन्नति, सभी दानी सहयोगियों एवं विद्वानों के अहर्निश प्रयास से दिन-दूरी, रात-चौगुनी अग्रसर है। इसी क्रम को देखते हुए वेदवेत्ता स्वामी प्रणवानन्द जी ने इस विद्यालय को राष्ट्रोत्कर्षक-सर्वहितकारक-सर्वांगीण विकासोन्मुख-बहुआयामी बनाने के लिए इसे श्रीमद् दयानन्द वेदार्ष महाविद्यालय न्यास के रूप में रूपान्तरित किया। यह शुभ संकल्प संस्था के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सहयोगियों के सहयोग के विश्वास पर लिया गया, यह शुभ संकल्परूपी भवन जहाँ आपके निरन्तर सहयोग से पूरा होगा, वहीं दूसरी तरफ हम उन विभूतियों को भी नहीं भुला सकते, जिन्होंने इस विद्याकेन्द्र के निर्माण में आधारशिला का कार्य किया। वे आत्माएँ आज प्रभु की शरण में कर्म बन्धनों से उन्मुक्त होकर आनन्द की अनुभूति कर रही होंगी। उन्हीं महान् आत्माओं की प्ररेणा के फलस्वरूप यह संस्था वर्तमान रूप में विकसित हो रही है, जिसके लिए हम सबका यह पावन कर्त्तव्य बन जाता है कि हम इसकी प्रगति को अक्षुण्ण रखें। वेद भगवान् भी कहते है कि “प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः” अर्थात् ज्ञानरूपी तन्तु का छेदन मत करो, इसी पवित्र भावना से प्रेरित होकर हम सबने यह संकल्प लिया है कि जैसे नाम वैसा काम वाली कहावत के अनुरूप हमारे अपने इस विद्यालय से हमने दौड़ आरम्भ की और श्रीमद् दयानन्द वेदार्ष महाविद्यालय न्यास तथा इस से आगे ही आगे सतत् बढ़ते रहें।
आर्ष-न्यास के पदाधिकारी एवं सदस्य- 1. संरक्षक - स्वामी धर्मानन्द सरस्वती 2. कुलमाता - माता परमेश्वरी देवी 3. कुलपति - डा. अशोक कुमार चौहान 4. उप कुलपति - श्री महेन्द्र प्रताप नारंग 5. प्रधान - चौ. मामचन्द्र तंवर 6. उपप्रधान - चौ. सुखवीर सिंह 7. मन्त्री - कै. रुद्रसेन 8. प्रधानाचार्य एवं कोषाध्यक्ष - स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती 9. वरिष्ठ प्रबन्धक - श्री रामनाथ सहगल 10. प्रबन्धक - श्री प्रियव्रत शास्त्री 11. शिक्षा सलाहकार - डॉ. वेदव्रत आलोक, श्री मदनगोपाल 13. प्रस्तोता - डॉ. नारायण 14. लेखाधिकारी एवं लेखा निरीक्षर - श्री यज्ञदेव आर्य 15. विधि सलाहकार - चौ. किशन लाल १६. सदस्य- - श्रीमती विनय आनन्द, श्री बालेश्वर आर्य, श्री गुरुदत्त तिवारी, श्री नरदेव यजुर्वेदी,श्री ब्रह्मप्रकाश शास्त्री, श्री धनंजय
पुरातन स्मृति-चित्रावली
आर्ष न्यास द्वारा संचालित शाखा संस्थाओं के आचार्य-
1 श्रीमद् दयानन्द वेदार्ष महाविद्यालय, ११९, गौतमनगर, नई दिल्ली-४९
आचार्य – स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती
2 गुरुकुल महाविद्यालय, यमुनातट, मंझावली, फरीदाबाद (हरियाणा)
आचार्य – आचार्य जयकुमार
3 श्रीमद् दयानन्द आर्षज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौन्धा, देहरादून (उत्तराखण्ड)
आचार्य – धनंजय आर्य
4 गुरुकुल योगाश्रम, नरसिंह नाथ, जिला-बरगढ़ (उड़ीसा)
आचार्य – स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती (कार्यवाहक)
5 श्रीकृष्ण आर्ष गुरुकुल, देवालय, गोमत, जिला-अलीगढ़ (उत्तरप्रदेश)
आचार्य – स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती
6 आर्य कन्या गुरुकुल, देवनगर (घुचापाली) जिला बरगड़ (उड़ीसा)
आचार्य – आचार्या शारदा
7 पण्डित लेखराम आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, वेल्लीनेषि,पालक्काट (केरल)
आचार्य – अयन शास्त्री (कार्यवाहक)