सह शैक्षणिक प्रवृत्तियाँ

आर्ष-न्यास के छात्रों की प्रतिभा के बहुआयामी विकास के उद्देश्य को लक्षित कर विविध सहशैक्षणिक प्रवृत्तियों का आयोजन करता है, जिनमें, निम्नलिखित प्रवृत्तियाँ मुख्य हैं। वाग्वर्धिनी सभा-

छात्रों में विशेषरुप से सम्भाषण, गायन, वाक्कला एवं सम्प्रेषण की क्षमता के संवर्धन के उद्देश्य से वाग्वर्घिनी सभा की स्थापना आर्ष-न्यास की प्रत्येक संस्था में की गयी है। संयोजन, संचालन आदि कार्यों में छात्रों को निपुण बनाने के लिए उनकी विशेष भूमिका स्थित की जाती है। यह सब कार्य आचार्यों के निर्देशन में स्वयं छात्र ही करते हैं।

प्रतियोगिताएँ एवं पुरस्कार- आर्ष-न्यास मेधावी छात्रों कों विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु उनकी विशेष सज्जा करवाता है तथा अपनी संस्थाओं के वार्षिकोत्सव आदि विशेष आयोजनों पर भाषण, गायन, लेखन एवं खेलकूद आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है, जिनमें योग्यतम स्थान प्राप्त छात्रों को तथा वार्षिक परीक्षा में अपनी कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को विशेष पुरस्कार प्रदान किया जाता हैं।

संगोष्ठियाँ- आर्ष-न्यास विभिन्न विषयों पर यथासमय संगोष्ठियों का आयोजन करता है, जिसमें विशिष्ट विद्वानों के द्वारा जीवनोन्नतिकारक लोकप्रिय व्याख्यानों का संयोजन होता है।

लेखन कला- आर्ष-न्यास छात्रों में लेखन कला को विकसित करने हेतु विभिन्न समयों पर छात्रों को प्रोत्साहित करता है, जिससे अनेक विशिष्ट पत्र-पत्रिकाओं में छात्रों की कृतियाँ प्रकाशित होती हैं। इसी उद्देश्य के द्विगुणित विकास के लिए वर्तमान में आर्ष-ज्योतिः नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन न्यास की शाखा गुरुकुल पौंधा, देहरादून से हिन्दी और संस्कृत भाषा में हो रहा है। जिसमें अध्यापकों, छात्रों, स्नातको तथा विद्वानों के विचार प्रकाशित होते हैं।

प्रचार-प्रसार कार्य- आर्ष-न्यास कृण्वन्तो विश्वमार्यम् अर्थात्-सम्पूर्णसंसार को श्रेष्ठ बनाओं के विशाल उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए यथासमय यज्ञ, वेदपाठ, व्याख्यान आदि के माध्यम से वैदिक सिद्धान्तों के प्रचार-प्रसार का प्रशंसनीय कार्य निरन्तर करता है। आर्ष-न्यास के स्नातक प्रचार-प्रसार का कार्य देश-विदेश में मनसा-वाचा-कर्मणा कर रहे हैं।

देशाटन – आर्ष-न्यास छात्रों के ऐतिहासिक ज्ञान की उन्नति के लिए समय-समय पर विशेष भ्रमणों की व्यवस्था करता है, इन भ्रमणों से छात्र अपने सास्कृतिक, ऐतिहासिक एवं भौगोलिक परिवेश से परिचित होते हैं।

वार्षिकोत्सव- आर्ष-न्यास के सभी संस्थाओं में संस्था के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर वार्षिकोत्सव मनाया जाता है, जिसमें विविध सम्मेलनों के साथ-साथ ब्रह्मचारियों के द्वारा यौगिक एवं सांस्कृतिक क्रियाकलापों का दिग्दर्शन किया जाता है। न्यास के मुख्य कार्यालय गुरुकुल गौतम नगर, नई दिल्ली में नवम्बर-दिसम्बर मास मे २२ दिवसीय चतुर्वेद ब्रह्मपारायण महायज्ञ एवं वार्षिकोत्सव मनाया जाता है, जों कि आर्यों के लिए महातीर्थ है।